RBI मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग, बदलाव होने की उम्मीद कम, अभी 6.50% रेपो रेट

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की आज (8 अगस्त) यानी मंगलवार से मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग शुरू होगी। यह मीटिंग 10 अगस्त तक चलेगी। जानकारों के अनुसार इस मीटिंग में RBI रेपो रेट यानी इंटरेस्ट रेट में बदलाव की उम्मीद कम ही है। अभी रेपो रेट 6.50% पर बना हुई है।

ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं


RBI ने इससे पहले अप्रैल और जून में हुई बैठक में ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। हालांकि, उससे पहले फरवरी में RBI ने रेपो रेट में 0.25% का इजाफा किया था। इससे रेपो रेट 6.25% से बढ़कर 6.50% हो गई। अब RBI एक बार फिर 0.25% की बढ़ोतरी करती है, तो रेपो रेट 6.50% से बढ़कर 6.75% हो जाएगी। साथ ही 1 अगस्‍त 2018 के बाद रेपो रेट की यह सबसे ऊंची दर हो जाएगी, तब रेपो रेट 6.50% थी।

ज्यादा EMI चुकानी होगी

रेपो रेट बढ़ने से होम लोन से लेकर ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ महंगा हो जाएगा और आपको ज्यादा EMI चुकानी होगी। हालांकि, FD पर ज्यादा ब्याज दरें मिलेंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 1 फरवरी को बजट पेश करने के बाद MPC की यह दूसरी बैठक है।

RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा

मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। पिछले वित्त वर्ष-2022-23 की पहली मीटिंग अप्रैल-2022 में हुई थी। तब RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था, लेकिन RBI ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया था।

रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया

22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था। इसके बाद 6 से 8 जून को हुई मीटिंग में रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई। फिर अगस्त में इसे 0.50% बढ़ाया गया, जिससे ये 5.40% पर पहुंच गई। सितंबर में ब्याज दरें 5.90% हो गई। फिर दिसंबर में ब्याज दरें 6.25% पर पहुंच गई। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग फरवरी में हुई, जिसमें ब्याज दरें 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दी गई थीं।

RBI रेपो रेट क्यों बढ़ाता या घटाता है?


RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देंगे। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होगा। मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आएगी और महंगाई घटेगी।

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