जैन 20 तीर्थंकरों की मोक्षस्थली वाले विख्यात जैन शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखर को पवित्र तीर्थ घोषित करने की मांग लगातार तेज होती जा रही है. मांग को लेकर अब पूरे देशभर में सकल जैन समाज एकजुट हो चुका है. इसके साथ ही तीर्थ के अस्तित्व को बचाने के लिए पिछले 6 दिनों में राजधानी जयपुर में दो मुनियों का समाधिमरण हुआ है. 5 जनवरी देर रात एक ओर 74 वर्षीय मुनि समर्थ सागर का भी सांगानेर स्थित संघीजी मंदिर में सल्लेखना समाधिमरण हो गया. आचार्य सुनील सागर के संघस्थ मुनि सुज्ञेय सागर भी बीते नौ दिन से उपवास पर थे, उनका भी समाधिमरण 6 दिन पहले यही मंदिर में हुआ था.
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से भी दिए गए निर्देश, लेकिन समाज के लोग सहमत नहीं
इससे पहले की अगर बात की जाए तो दो दिन पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं. लेकिन इन निर्देशों से जैन समाज के लोग सहमत नजर नहीं आ रहे हैं. पूरे देश में जैन समाज के लोगों ने पवित्र धर्म स्थल घोषित करने की मांग की है. समाज के लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो गजट नोटिफिकेशन जारी किया है उसमें ना तो 2 अगस्त 2019 का गजट नोटिफिकेशन रद्द किया और ना ही पर्यटक शब्द हटा तीर्थ स्थल की घोषणा की कोई बात कही गई है. गजट नोटिफिकेशन में सिर्फ इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था केवल उस पर रोक लगाई है.
मांग पूरी नहीं होने पर देह त्यागने की दी चेतावनी
पिछले दिनों जारी गजट नोटिफिकेशन के बाद पूरे देश में जैन समाज के लोगों में भारी आक्रोश है. समाज के लोगों ने चेतावनी देते हुए कहा कि मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो जैन समाज मुनिराजों के रास्तों पर चलते हुए अपने देह त्यागने से पीछे नहीं हटेंगे. दूसरी ओर आचार्य शशांक सागर ने कहा कि जब तक झारखंड सरकार सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल घोषित नहीं करेगी, तब तक मुनि ऐसे ही बलिदान देते रहेंगे. तीर्थ स्थली की मांग को लेकर दो मुनियों ने सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया है. तो वहीं दूसरी ओर संघीजी मंदिर में आचार्य सुनील सागर के संघस्थ तीन से चार मुनियों का 48 घंटे में एक बार ही आहार ले रहे हैं.