महाराष्ट्र में शरद पवार की NCP से टूटकर बनी अजित पवार की नई NCP तैयार है। मंत्रालय के सामने एक बंगले में नया दफ्तर खुल गया। सुनील तटकरे नए प्रदेश अध्यक्ष बन गए। 2 जुलाई को अजित पवार NCP के 8 विधायकों के साथ BJP-शिवसेना (शिंदे गुट) साथ सरकार में शामिल हुए तो सभी हैरान रह गए। इससे भी ज्यादा हैरानी शरद पवार के खास प्रफुल्ल पटेल को अजित पवार के खेमे में देखकर हुई। कहा गया कि अजित पवार खुद को पार्टी का अध्यक्ष न बनाने से नाराज थे, इसलिए पार्टी से अलग हो गए, पर राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल को तो शरद पवार ने कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। वो भी भतीजे पर तवज्जो देकर। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स ने कहा कि प्रफुल्ल पटेल शरद पवार के इतने करीबी हैं, बिना उनकी मर्जी के वे ये फैसला नहीं ले सकते। हो सकता है कि इस पूरे खेल के पीछे शरद पवार ही हों। हालांकि, 3 जुलाई को शरद पवार ने प्रफुल्ल पटेल को पार्टी से निकाल दिया। आखिर प्रफुल्ल पटेल ने शरद पवार का साथ क्यों छोड़ा, इसका जवाब ढूंढने के लिए भास्कर ने महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स से बात की।
PM मोदी के बयान के बाद बढ़ा डर
महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स के उतार-चढ़ाव पर किताब ‘चेक एंड मेट’ लिखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट सुधीर सूर्यवंशी कहते हैं, ‘PM मोदी ने 27 जून को भोपाल में कहा था कि मेरी गारंटी है हर घोटालेबाज पर कार्रवाई। प्रफुल्ल पटेल ने सरकार में शामिल होने का फैसला इस बयान के बाद लिया। दोनों में कनेक्शन तो दिख रहा है। सुधीर सूर्यवंशी कहते हैं, ‘मोदी के ऐलान के बाद क्लियर था कि जिन लोगों पर CBI, ED और इनकम टैक्स के मामले चल रहे हैं, उन पर कार्रवाई हो सकती है। ED ने 2019 में आरोप लगाया था कि प्रफुल्ल पटेल से जुड़ी एक कंपनी ने 2006-07 में मुंबई के वर्ली एरिया में सीजे हाउस नाम की बिल्डिंग बनाई थी। इसकी दो मंजिलें 2007 में दाऊद इब्राहिम के सहयोगी इकबाल मेमन उर्फ इकबाल मिर्ची की पत्नी को ट्रांसफर की गई थीं।’
जेल जाना या सरकार के साथ आना ही था आखिरी रास्ता…
‘मिर्ची के परिवार के मेंबर्स के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस में पटेल को 2019-2021 के बीच तलब किया गया। जुलाई 2022 में ED ने सीजे हाउस की चार मंजिलें कुर्क कर ली। प्रफुल्ल पटेल ने मिर्ची के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया था।’हालांकि ED की चार्जशीट में प्रफुल्ल पटेल को आरोपी नहीं बनाया गया है। प्रफुल्ल पटेल का घर भी इसी बिल्डिंग में है। जुलाई, 2022 में ED ने बिल्डिंग के 12वें से 15वां फ्लोर सील कर दिया था। इसका मालिकाना हक पटेल परिवार के पास है। कोर्ट की परमिशन से प्रफुल्ल अब भी उसी घर में रह रहे हैं। हालांकि, उन पर गिरफ्तारी का खतरा तो है। चुनाव को सिर्फ एक साल बचा है। ऐसे में BJP से जुड़ने का उनके पास बड़ा कारण तो था ही।’
जेल जाना या सरकार के साथ आना ही था आखिरी रास्ता… क्या शरद पवार को प्रफुल्ल पटेल के फैसले के बारे में पता होगा? इस पर सुधीर सूर्यवंशी ने NCP सूत्रों के हवाले से बताया कि ‘शरद पवार ने प्रफुल्ल को नहीं, बल्कि हसन मुश्रिफ और सुनील तटकरे को अपने विवेक से काम करने को कहा था।’ इन दोनों के खिलाफ ED, एंटी करप्शन ब्यूरो और CBI की जांच चल रही है। दोनों कई बार शरद पवार से BJP के साथ जाने की बात कह चुके थे, लेकिन वैचारिक मतभेद की बात कहकर शरद पवार ने उनका प्रपोजल नकार दिया।’