चौक टीम जयपुर। कनाडा में इंडियन कॉन्सुलेट के बाहर को करीब 250 खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने झंडे लहराए और नारे भी लगाए। इसके जवाब में भारतीय समुदाय के लोग भी तिरंगा लेकर वहां मौजूद रहे। उन्होंने भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाए। इस दौरान उनके हाथ में तख्ती पर ‘खालिस्तानी सिख नहीं होते’ स्लोगन लिखा हुआ था। भारतवंशियों के प्रदर्शन और नारेबाजी के आगे खालिस्तानियों की रैली फीकी पड़ गई। प्रदर्शन के दौरान दोनों पक्ष के समर्थक आमने-सामने नजर आए। बता दें कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तानी समर्थकों ने 8 जुलाई को अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में ‘किल भारत’ रैली निकालने की घोषणा की थी।
भारत माता मंदिर के बाहर इंडियन डिप्लोमैट्स के खिलाफ पोस्टर लगे
खालिस्तानी समर्थकों ने कनाडा में प्रदर्शन की शुरुआत करते हुए भारत माता मंदिर के बाहर अपना पोस्टर लगा दिया था। इस पर वॉर जोन लिखा हुआ था। पोस्टर में भारतीय डिप्लोमैट्स की तस्वीर थी, जिन्हें निज्जर की हत्या का दोषी बताया गया था।आतंकी निज्जर की 18 जून को हुई थी हत्या मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खालिस्तानियों के प्रदर्शन का नेतृत्व आतंकी गुरुपतवंत सिंह पन्नू और परमजीत सिंह पम्मा ने किया था। इन पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से फंडिंग लेने का आरोप है। खालिस्तानी समर्थकों के हाथ में हरदीप सिंह निज्जर का पोस्टर था, जिसकी 18 जून को कोलंबिया में हत्या कर दी गई थी।
ब्रिटेन-ऑस्ट्रेलिया में नहीं जुटे प्रदर्शनकारी
दूसरी तरफ, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय दूतावासों के बाहर भीड़ इकट्ठा ही नहीं हो पाई। लंदन में भारतीय हाईकमीशन के बाहर करीब 30-40 खालिस्तानी समर्थक झंडे लिए नजर आए। आतंकवादी परमजीत सिंह पम्मा ने इसका नेतृत्व किया। इस दौरान पुलिस बल भी वहां मौजूद रहा। हालांकि, आतंकी पम्मा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। भीड़ नहीं जुटने की वजह से ये प्रदर्शन तय समय से पहले ही खत्म हो गयाराजनयिकों को धमकी के बाद सख्त हुए देश खालिस्तान के नारे लगाते हुए भारत में अलग देश की मांग करने वाले खालिस्तानी समर्थकों को अब विदेशों में मिलने वाला सपोर्ट कम होने लगा है। इसके पीछे का कारण भारत सरकार की तरफ से बनाया जा रहा दबाव और खालिस्तानी समर्थकों की तरफ से भारतीय दूतावासों व राजनयिकों को नुकसान पहुंचाने की धमकी है। इसके बाद से अब कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी पीछे हटना शुरू हो गए हैं। सभी देशों के विदेश मंत्रालय स्पष्ट कह चुके हैं कि वे अपनी धरती पर आतंकवादी गतिविधियों को अनुमति नहीं देंगे।