उदयपुर के सबसे बड़े जगदीश मंदिर के बाद अब जयपुर के झारखंड महादेव मंदिर में भी ड्रेस कोड लागू किया जा रहा है। यहां हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाईट सूट, कटी-फटी जीन्स, फ्रॉक आदि जैसे कपड़ों में एंट्री नहीं मिलेगी। ड्रेस कोड को लेकर झारखंड महादेव मंदिर के अध्यक्ष जयप्रकाश सोमानी ने बताया- अभी हमने केवल दर्शन के लिए आने वाले भक्तों से इस ड्रेस कोड में आने का निवेदन किया है। आने वाले समय में मंदिर के लिए पारंपरिक ड्रेस कोड लागू किया जाएगा। सोमानी ने कहा- मंदिर में आने वाले कई भक्तों का ऐसा कहना था कि हमारे मंदिर में भी एक ड्रेस कोड होना अनिवार्य है। इसी को देखते हुए हमने भी अभी लोगों से आग्रह करना शुरू किया है।
छोटे कपड़ों में हम मंदिरों में आएंगे तो इससे और लोगों का भी ध्यान भटकता है
समय आने पर तय करके एक खास ड्रेस कोड भी लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि शॉर्ट ड्रेस, कटी-फटी जींस यह हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है। भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए ऐसा कदम उठाया गया है। उनका कहना है कि यह केवल हमारे ही मंदिर का मामला नहीं है बल्कि देश के कई अलग-अलग जगहों पर मंदिरों में ड्रेस कोड लागू है। मंदिर में दर्शन के लिए आई पूजा ने कहा- हम मंदिरों में भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां अगर छोटे कपड़ों में हम मंदिरों में आएंगे तो इससे और लोगों का भी ध्यान भटकता है। इससे निगेटिव एनर्जी भी आती है। लोगों में ना चाहते हुए भी गलत विचार आ ही जाते हैं। छोटे कपड़ों के लिए दूसरी जगह हैं फिर हम मंदिर में तो पर्टिकुलर एक ड्रेस में आ ही सकते हैं।
भारतीय संस्कृति को बड़े सुचारू रूप से धारण करने में सहयोग करेंगे
जहां तक बात रही जींस पहनने को लेकर तो जींस में ऐसा कुछ दिखता नहीं है। जींस पहनना तो अलाउड होना चाहिए।मंदिर के गेट पर ही मंदिर प्रशासन द्वारा इस तरीके का एक पोस्टर चिपकाया गया है। जिस पर क्या लिखा है पढ़िए… झारखंड महादेव मन्दिर जयपुर सभी महिलाएं एवं पुरूष मन्दिर में मर्यादित वस्त्र पहन कर ही आएं । छोटे वस्त्र – हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाईट सूट, कटे-फटे जीन्स, फ्रॉक आदि पहन कर आने पर बाहर से ही दर्शन करने का लाभ प्राप्त करें। हम आशा करते हैं कि आप भारतीय संस्कृति को बड़े सुचारू रूप से धारण करने में सहयोग करेंगे ,आज्ञा से – मन्दिर प्रशासन 1918 में हुआ था मंदिर का निर्माण
कुछ महीने पहले ही भीलवाड़ा (राजस्थान) के मेवाड़ क्षेत्र के प्रसिद्ध भगवान कोटड़ी चारभुजानाथ मंदिर में भी ड्रेस कोड लागू किया गया है।
मान्यता है कि झारखंड महादेव स्वयंभू हैं। इसका मतलब होता है कि जो स्वयं से प्रकट हुए हैं। शिवलिंग कितना पुराना है, इसके बारे में कोई खास जानकारी नहीं है। इस मंदिर के निर्माण को लेकर बताया जाता है कि 1918 में सेठ बब्बू जी माहेश्वरी ने गुरु गोविंद नाथ जी के आशीर्वाद से करवाया था। झारखंड महादेव नाम के पीछे का रहस्य यह है कि पहले यहां घने जंगल हुआ करते थे। उस घने जंगल और झाड़ की वजह से इस मंदिर का नाम झारखंड महादेव रखा गया। पहली बार लगी है ऐसी रोक ,राजस्थान के मंदिरों में पहली बार छोटे कपड़ों पर रोक नहीं लगाई है। कुछ दिन पहले उदयपुर के जगदीश मंदिर में शॉर्ट टी शर्ट, शॉर्ट जींस, बरमुंडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट आदि पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि मंदिर के पुजारी का कहना था कि कोई छोटे कपड़े पहनकर आ जाएगा तो उसे रोका नहीं जाएगा। कुछ महीने पहले ही भीलवाड़ा (राजस्थान) के मेवाड़ क्षेत्र के प्रसिद्ध भगवान कोटड़ी चारभुजानाथ मंदिर में भी ड्रेस कोड लागू किया गया है। इस मंदिर में भी नहीं मिलता है प्रवेश ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार है कि किसी मंदिर में छोटे कपड़े पहनकर जाने पर रोक लगाई गई है। कुछ महीने पहले ही भीलवाड़ा (राजस्थान) के मेवाड़ क्षेत्र के प्रसिद्ध भगवान कोटड़ी चारभुजानाथ मंदिर में भी ड्रेस कोड लागू किया गया है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं से मर्यादित कपड़े पहनकर आने की अपील की गई थी। छोटे कपड़े पहनकर आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर के बाहर से ही दर्शन करना पड़ता है। मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि भक्तों के सुझाव के बाद ही यह निर्णय लिया गया था।