2 जून की शाम ओडिशा के बालासोर में भीषण रेल हादसा हुआ। यह देश का तीसरा सबसे बड़ा रेल हादसा था। तस्वीरें ऐसी जिन्हें देखकर किसी का भी दिल दहल जाए। रेल की पटरियों पर दूर तक ट्रेन के डिब्बे और लाशों का ढेर दिखाई दे रहा था। रेलवे के सामने संकट था- मृतकों और घायलों को घटनास्थल से निकालना और ट्रैक की मरम्मत करना। लेकिन, हादसे के 51 घंटे के अंदर ही रेस्क्यू टीमों और रेल विभाग ने इसमें सफलता पाई। 51 घंटे बाद जब इस रूट से ट्रेन गुजरी तो रेल मंत्री ने हाथ जोड़कर भगवान को धन्यवाद दिया।
टारगेट रेल लाइन को क्लियर
अब जब रेस्क्यू और रेस्टोरेशन काम काम पूरा हो चुका है, तो इस बचाव कार्य में जुटे अधिकारियों ने बताया कि कैसे रेल मंत्री के नेतृत्व में इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव प्लान के आधार पर काम करते हैं। ऐसा ही अब भी हुआ। हमारा मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाना और घायलों को इलाज मुहैया कराने का था। रेस्क्यू के बाद हमारा टारगेट रेल लाइन को क्लियर करने का था, ताकि ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो सके। इसके लिए हमने ऐसा प्लान तैयार किया जिसमें मानव संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जा सके। ग्राउंड वर्क के लिए 8 टीमें बनाई गईं, हर टीम में 70 लोग रेलवे अधिकारी ने बताया कि ग्राउंड पर काम करने के लिए 70-70 लोगों वाली 8 टीमें बनाई गईं। हर टीम के सुपरविजन की जिम्मेदारी एक सीनियर सेक्शन इंजीनियर को सौंपी गई। इन सीनियर सेक्शन इंजीनियर का सुपरविजन डिस्ट्रिक्ट रेलवे मैनेजर और जनरल मैनेजर को सौंपा गया। इनकी निगरानी रेलवे बोर्ड के मेंबर ने की।