उत्तराखंड का जोशीमठ देश में चर्चा और चिंता का केंद्र बना हुआ है। वजह अध्यात्मिक नहीं बल्कि आपदा से जुड़ी है। जोशीमठ में मकानों में आ रही दरारें, पहाड़ के दरकने और सड़कों के घंसने से स्थानीय नागरिक दहशत में है।
केंद्र सरकार हुई सक्रिय
जोशीमठ में भूमि धसाव को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार आपदा प्रबंधन तेज कर रही है। क्षतिग्रस्त मकानों को खाली करवाकर प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहम बैठक लेकर जोशीमठ को आपदा ग्रस्त क्षेत्र घोषित कर चुके हैं। जिन मकानों में दरारे हैं उन सभी प्रभावितों के लिए फैब्रिकेटेड घर बनाए जाने की तैयारी है।
NDRF तैनात
आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित करते हुए केंद्र सरकार ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात कर दी है। भारतीय सेना का बड़ा बेस होने के कारण जवानों को भी सुरक्षित जगह शिफ्ट किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर चुके हैं। चिंता की बात यह है कि अभी तक भूमि घंसाव के कारण सामने नहीं आ पाए हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में दरारों को लेकर अफसरों के विरोधाभासी बयान भी हैं। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ पी के मिश्रा ने जोशीमठ में भवनों के क्षतिग्रस्त होने और भूमि देने की उच्चस्तरीय समीक्षा की है। केंद्र और राज्य सरकार के अलावा एनडीआईए, आईआईटी रुड़की, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इंस्टिट्यूट के विशेषज्ञ कारणों की जांच में जुटे हैं।
दहशत में जोशीमठ के निवासी
जोशीमठ शायद ही कोई ऐसा ही सा बचा हो जा मकान और जमीन में दरारे नहीं हो। प्रतिदिन नए-नए क्षेत्रों में दरारें देखी जा रही है। यह किसी बड़ी आपदा या भूकंप की चेतावनी हो सकती। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण चमोली की रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ के 9 वार्डों के कुल 603 भवनों में दरारे पाई गई हैं। जबकि 4 वार्डों में अत्यधिक धंसाव वाले क्षेत्रों को असुरक्षित घोषित करते हुए तत्काल खाली करने के आदेश दिए है। जोशीमठ में आपदा का दायरा सभी 9 वार्ड तक फैल चुका है। सेक्टर अधिकारी नियुक्त कर आपदा प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को हटाया जा रहा है। जोशीमठ में आई दरारों के पीछे की बड़ी वजह विकास से जुड़े कई प्रोजेक्टों का चलना है। इनमें बिजली और पानी से जुड़ी अहम परियोजना शामिल है वही परिवहन के लिए सड़क बनाने का काम भी दरारों की वजह बताया जा रहा है।