बदलते क्लासरूम…!

नारायण बारहेठ- वरिष्ठ पत्रकार

जयपुर। यह भारत का फलसफा है। शिक्षा केंद्र महज एक संस्थान नहीं होता। वो एक मंदिर है,इबादतगाह है। और क्लास रूम उस आस्था स्थल का सबसे पवित्र स्थान होता है।यह वो जगह है जहाँ सदियों से प्रेम,करुणा ,चेतना और ज्ञान की ध्वनि निनादित होती रही है।लेकिन अब क्लास रूम बदल रहे है। कही शिक्षक हिंसक हो रहे है ,कही विद्यार्थी।नफरत पहले समाज के बाकी हिस्सों में पहुंची ,अब क्लास रूम भी उसका ठिकाना हो गया है।

    कर्नाटक के हगली में चौथी कक्षा के छात्र भरत को शिक्षक मुथपा ने पहले पीटा और फिर छत से फेंक कर उसकी जान ले ली।ऐसी ही घटना दिल्ली की है। महिला शिक्षक ने पांचवी क्लास के छात्र पर पहले  कैंची चलाई और फिर पहली मंजिल से नीचे फेंक दिया।बीते एक पखवाड़े में दो घटनाये ऐसी सामने आयी है जब दो अलग अलग राज्यों में शिक्षक कक्षा में नफरत के बोल बोल रहे है/ यह मानवता के लिए खतरे की घंटी है।क्योंकि घृणा का दायरा बढ़ रहा है। पहले यह समुदाय ,जाति ,घर आंगन और सभा महफ़िलो तक पहुंची। अब क्लास रूम में अपनी हाजिरी दर्ज कराई है /इंसानियत को उम्मीद थी कि यह भारत का क्लास रूम है। ये नफरत की आँधियों को रोकने की क्षमता रखता है। यह उस देश का क्लास रूम है जिसे गुरु कहा जाता है।पर ये क्या हो गया ?

   कोई चार माह पहले यूपी के ओरैया में विज्ञानं पढ़ाने वाले शिक्षक अश्वनी ने दसवीं जमात के निखिल को इतना पीटा की उसकी सांसे उखड़ गई। बात इतनी सी थी कि निखिल ने सामाजिक को समाजक लिख दिया था।उन्ही दिनों नोएडा में 12 साल के छात्र को शिक्षक शोभाराम ने स्कूल में पीटा और उसकी जान ले ली। राजस्थान के चूरू जिले में गणेश 7 वी जमात का विद्यार्थी था।शिक्षक के हाथो पिटाई से उसकी मौत हो गई।शिक्षक के आप खो देने की घटनाये बढ़ रही है। 

     इस तस्वीर का दूसरा पहलू भी है।वो भी डरावना मंजर प्रस्तुत करता है।यूपी के सीतापुर में प्रिंसिपल राम सिंह वर्मा ने एक उदंडी छात्र को उसके बर्ताव पर उलाहना दी थी। 12 कक्षा का छात्र था। वो एक दिन आया और पैर छूने के बहाने प्रिंसिपल पर गोली चला दी। वे गंभीर रूप से घायल हो गए/पिछले वर्ष जयपुर के कोटपूतली में एक छात्र ने अपने शिक्षक नटवर सिंह  पर फायर कर दिया।धौलपुर की एक निजी स्कूल में प्रिंसिपल भगवन त्यागी उस समय बाल बाल बच गए जब एक छात्र ने देशी कट्टे से फायर दागा/लेकिन हथियार जाम हो गया और वे बच गए।कभी विद्यार्थी की कॉपी किताब में फूल की पंखुड़ियां और मोर के पंख मिलते थे। लेकिन हाल में दौसा जिले में सरकारी स्कूल में एक छात्र के बैग में  देसी कट्टा मिला। 

यह उस माहौल की उपज है जो पिछले कुछ सालो में नीयतन तैयार किया गया है।समाज का कोई भी कोना अब अछूता नहीं रह गया है। लेकिन क्लास रूम की यह तस्वीर बहुत खतरनाक है।इसमें शिक्षक है ,शिक्षार्थी है। एरिन ग्रूवेल अमेरिका में शिक्षक है।वे प्रयोगधर्मी है।वे जिस अंदाज में पढ़ाती  है ,उसकी तारीफ की जाती है। उन्हें क्लास रूम के सामर्थ्य पर नाज है। वे कहती है - अगर आप क्लास रूम को तब्दील कर सकते हो तो आप समुदाय को भी बदल सकते हो। और अगर आप समुदायों में पर्याप्त परिवर्तन ला सके तो तुम दुनिया भी बदल सकते हो।[I realized if you can change a classroom, you can change a community, and if you change enough communities you can change the world]     

यह शिक्षकों पर मयस्सर है। वे चाहे तो अच्छा कर सकते है। और इसके उल्ट भी। कुछ अभिभावक कहते है शिक्षकों का एक हिस्सा किस्से कहानियां सुना कर विद्यार्थियों को बांधे रख कर टाइम पास कर लेते है। पर उन्हें सब्र है कि वे कम से कम घृणा तो नहीं बांटते।प्रोफ मैकलुहान ने एक बार निराशा के साथ कहा ‘आज क्लास रूम्स उत्कृष्ट वाणी के संग्रह नहीं रहे है।विज्ञापनों तक महदूद रह गए है।अफ्रीकन कहावत है ‘ शिक्षण महज ज्ञान का संग्रह नहीं है। बल्कि वो आत्मा को चेतनशील बनाने का काम है।[“True teaching is not an accumulation of knowledge; it is an awakening of consciousness]

                      भारत में शिक्षक और विद्यार्थी के दर्मिया कभी ऐसे रिश्ते नहीं रहे।इसके लिए डूंगरपुर की आदिवासी बालिका काली बाई की मिसाल दी जाती है।यह आज़ादी से थोड़ा पहले का कथानक है। रियासत का फरमान था कि कोई भी आदिवासी नहीं पढ़ेगा।कोई शिक्षक उन्हें तालीम भी नहीं देगा। पर जंगे आज़ादी के सिपाही पढ़ा रहे थे। पुलिस आई। उसने शिक्षक सेंगा भाई को पकड़ा और ट्रक  से बांध कर घसीटने लगे। काली बाई ये सहन नहीं हुआ। उसने दराती से रस्सी काट दी। अपने शिक्षक को मुक्त करा दिया। पुलिस ने चेतावनी दी। पर वो बहादुरी से डटी रही। पुलिस  की गोली ने उसकी जान ले ली। 

एक भारत वो था जहाँ काली बाई ने अपने शिक्षक की रक्षा के लिए अपनी जान का नजराना पेश कर दिया।एक भारत नई सदी का है। विवेकानंद कहते है – किसी से भी घृणा मत करो। क्योंकि तुम्हारे भीतर से निकली नफरत एक दिन तुम्हारे तक वापस आएगी।गर तुम मुहब्बत पैदा करोगे तो वो भी तुम तक लौटेगी। यह एक पूरा घुमावदार चक्र है।

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