चौक टीम, जयपुर वेदांता चेयरमैन अनिल अग्रवाल की फेसबुक पोस्ट वायरल है। अपनी पोस्ट में उन्होंने भारत की भावी जरूरतों पर लिखा है। भारत के संसाधनों, रॉ मैटेरियल का दोहन और युवा शक्ति पर विश्वास से जुड़ी पोस्ट उद्यमिता जगत में लोकप्रिय हो रही है।
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एक बात तो तय है कि आने वाले दिनों में जो टेक्नोलॉजी दुनिया को चलाने वाली हैं चाहे वो ईवी हो, बैटरी, सोलर या फिर विंड एनर्जी..सभी के लिए मिनरल्स की बहुत ज़्यादा ज़रूरत रहेगी। भविष्य में हमें बड़ी क्वांटिटी में लिथियम, कोबाल्ट, रेयर अर्थ, कॉपर और दूसरे मिनरल्स चाहिए होंगे। भारत इनमें से कुछ मिनरल्स के लिए सेंट परसेंट और दूसरे मिनरल्स के लिए 50 प्रतिशत से ज़्यादा इंपोर्ट पर डिपेंडेंट है। ये एक बड़ा रिस्क है।
दूसरे देशों की तरफ देखें तो चीन इस फील्ड में पहले ही बढ़त ले चुका है। वहां इन मिनरल्स और मेटल्स का एक बड़ा हिस्सा निकल रहा है। सऊदी अरब जैसे देश, जो ऑयल के अलावा दूसरे मिनरल्स के लिए नहीं जाने जाते, वो भी इन्वेस्टमेंट को आकर्षित करने और इन नए ज़माने में मिनरल्स में एक प्रमुख रोल निभाने के लिए बहुत उदार पॉलिसी लेकर आए हैं। भारत की जियोलॉजी चीन और सऊदी अरब दोनों से बेहतर है। लेकिन इन देशों की एक्सप्लोरेशन पॉलिसी अधिक लिबरल हैं।
महत्वपूर्ण ये है कि हमारे यंग एंटरप्रेनर्स को एक्सप्लोरेशन करने में सक्षम बनाया जाए और उन्हें अपनी डिस्कवरी को बड़ी माइनिंग कंपनियों को बेचने की अनुमति दी जाए, जो इन डिस्कवरीज़ को आगे प्रोडक्शन तक ले कर जायेंगे। ये मॉडल वैसा ही है जैसा स्टार्टअप टेक्नोलॉजी की दुनिया में होता है। वहां वे अपनी डिस्कवरी को बड़ी कंपनियों को बेचकर उन्हें और बड़ा बनाते हैं। माइनिंग सेक्टर में ग्लोबल प्रैक्टिस ऐसी ही है।
इस तरह हम अपने देश की जियोलॉजी को पूरी तरह एक्सप्लोर कर सकते हैं और दूसरे देशों से आगे रह सकते हैं। भारत यंग एंटरप्रेनर का देश है और उन्हें उड़ान भरने के लिए पंख की ज़रूरत है। लिबरल पॉलिसी और एक्सप्लोरेशन को सपोर्ट करना स्टार्टअप के लिए गेम चेंजर हो सकता है। ये भारत को दुनिया की सबसे बड़ी तीन इकोनॉमी में शामिल होने में मदद करेगा। इसमें हमें समय नहीं खोना चाहिए।