न्यूज़ चौक,जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस यात्रा से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर फ्रेंच मीडिया हाउस ‘लेज एकॉ’ से बात की. PM मोदी ने UNSC में भारत को परमानेंट मेंबरशिप नहीं मिलने की बात पर नाराजगी भी जाहिर की. उन्होंने कहा- UNSC कैसे कह सकता है कि वो पूरी दुनिया की राय के आधार पर फैसले ले रहा है जबकि दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला देश इसका परमानेंट मेंबर ही नहीं है.
PM मोदी का इंटरव्यू…
सवाल: भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। इससे वैश्विक स्तर पर देश की स्थिति कैसे बदलेगी?
PM मोदी: भारत एक समृद्ध सभ्यता है, जो हजारों वर्ष पुरानी है.आज भारत दुनिया का सबसे युवा देश है. भारत के युवा देश की संपत्ति हैं. ऐसे समय में जब दुनिया के कई देश बूढ़े हो रहे हैं और उनकी आबादी कम हो रही है, भारत के युवा और कुशल कार्यबल आने वाले दशकों में दुनिया में अहम भूमिका निभाएंगे. अनोखी बात यह है कि भारत के युवाओं में खुलापन है. इनमें लोकतांत्रिक मूल्य हैं, ये टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए उत्सुक है और बदलती दुनिया के साथ तालमेल बैठाने के लिए तैयार हैं.
आज भी, भारतीय प्रवासी, चाहे वे कहीं भी हों, उस देश की समृद्धि में योगदान करते हैं. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते और सामाजिक-आर्थिक विविधता के साथ, हमारी सफलता ये साबित करती है कि लोकतंत्र बेहतर परिणाम देता है. विविधता के बीच भी सामंजस्य का अस्तित्व संभव है. साथ ही दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को वर्ल्ड स्टेज पर सही जगह दिलाने के लिए हम अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और संस्थाओं में बदलाव की उम्मीद करते हैं.
सवाल: क्या आप विस्तार से बता सकते हैं कि आपके यह कहने का क्या मतलब है कि भारत विश्व में अपना “उचित स्थान” हासिल कर रहा है?
PM मोदी: प्राचीन काल से, भारत वैश्विक आर्थिक विकास, तकनीकी उन्नति और मानव विकास में योगदान देने में सबसे आगे रहा है. आज विश्वभर में हमें अनेक समस्याएं और चुनौतियां देखने को मिलती हैं .मंदी, खाद्य सुरक्षा, मुद्रास्फीति, सामाजिक तनाव उनमें से कुछ हैं. ऐसे हालातों के बीच मैं हमारे लोगों में एक नया आत्मविश्वास, भविष्य के बारे में एक आशा और दुनिया में अपना उचित स्थान लेने की उत्सुकता देख रहा हूं.
हम वैश्विक चुनौतियों से निपटने, अधिक एकजुट दुनिया बनाने, पिछ़डे देशों की आवाज बनने और वैश्विक शांति और समृद्धि को आगे बढ़ाने में योगदान देने की अपनी जिम्मेदारी को पहचानते हैं. भारत वैश्विक मुद्दों पर अपना अलग नजरिया लाता है .यह हमेशा शांति, एक निष्पक्ष आर्थिक व्यवस्था, कमजोर देशों की चिंताओं और हमारी आम चुनौतियों का समाधान करने में वैश्विक एकजुटता के पक्ष में खड़ा है.
सवाल: चीन अपनी डिफेंस क्षमता बढ़ाने के लिए काफी खर्च कर रहा है। क्या इससे क्षेत्र की सुरक्षा को खतरा है?
PM मोदी: इंडो-पैसिफिक में भारत की गहरी रुचि है. मैं इस क्षेत्र को लेकर भारत के विजन को एक शब्द में बयां करना चाहूंगा. वो शब्द है – ‘सागर’। इसका मतलब है- सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल रीजन. हालांकि हम जिस भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं उसके लिए शांति जरूरी है, लेकिन यह सुनिश्चित नहीं है .भारत हमेशा बातचीत और कूटनीति के जरिए मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने के लिए खड़ा रहा है. आपसी विश्वास और भरोसा बनाए रखने के लिए यह अहम है. हमारा मानना है कि इसके जरिए क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता की ओर बढ़ा जा सकता है.
सवाल: इंडो-पैसिफिक में तनाव बढ़ता जा रहा है। भारत समेत कई देश चीन के आक्रामक व्यवहार से परेशान हैं। चीन के साथ इस गतिरोध के बीच फ्रांस से क्या उम्मीद करते हैं?
PM मोदी: भारत और फ्रांस के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, इसमें राजनीतिक, रक्षा, सुरक्षा, आर्थिक, मानव-केंद्रित विकास और स्थिरता सहयोग शामिल हैं. जब समान दृष्टिकोण और मूल्यों वाले देश एक साथ काम करते हैं, तो वे किसी भी चुनौती से निपट सकते हैं .इंडो पैसिफिक क्षेत्र समेत हमारी साझेदारी किसी देश के खिलाफ नहीं है. हमारा उद्देश्य हमारे आर्थिक और सुरक्षा हितों की रक्षा करना, नेविगेशन और व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना, क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू करना है.
सवाल: सितंबर में आपने व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि आज युद्ध का युग नहीं है। युद्ध अब लंबा खिंच रहा है और ग्लोबल साउथ पर इसका काफी असर पड़ रहा है। क्या भारत रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपना रुख कड़ा करने जा रहा है?
PM मोदी: मैंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से कई बार बात की है .मैं हिरोशिमा में राष्ट्रपति जेलेंस्की से मिला. हाल ही में, मैंने राष्ट्रपति पुतिन से दोबारा बात की. इस मामले में भारत का रुख स्पष्ट, पारदर्शी और सुसंगत रहा है। मैंने कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है .हमने दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के जरिए मुद्दों को सुलझाने का आग्रह किया है .मैंने उनसे कहा कि भारत उन सभी वास्तविक प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है, जो इस संघर्ष को खत्म करने में मदद कर सकते हैं.
हमारा मानना है कि सभी देशों का दायित्व है कि वे दूसरे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें, अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करें और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करें. हम पूरी दुनिया खासकर ग्लोबल साउथ पर युद्ध के प्रभाव को लेकर भी चिंतित हैं. पहले से ही कोरोना महामारी के प्रभाव से जूझ रहे देशों को अब ऊर्जा, खाद्य और स्वास्थ्य संकट, आर्थिक मंदी, मुद्रास्फीति और बढ़ते कर्ज के बोझ का सामना करना पड़ रहा है. युद्ध खत्म होना चाहिए। हमें उन चुनौतियों का भी समाधान करना चाहिए, जिनका दक्षिण के देश सामना कर रहे हैं.
राजस्थान चौक के लिए आकृति पंवार की रिपोर्ट