मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई हिंसा के 51 दिन पूरे हो गए हैं, लेकिन हालात सामान्य नहीं हुए हैं। इसे लेकर गृहमंत्री अमित शाह आज दोपहर 3 बजे से दिल्ली में ऑल-पार्टी मीटिंग करेंगे। मणिपुर के शिक्षा मंत्री बसंता सिंह ने बताया कि मीटिंग में राष्ट्रीय पार्टियों के साथ मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा होगी। हालांकि, इस बैठक को कांग्रेस ने बहुत लेट और नाकाफी बताया है। कांग्रेस का कहना है कि अगर मणिपुर के लोगों के साथ बातचीत की कोशिश दिल्ली में बैठकर की जाएगी, तो इसमें गंभीरता नहीं दिखेगी। वहीं, राहुल गांधी ने इस बैठक पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बैठक ऐसे समय में हो रही है जब पीएम मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं, इससे पता चलता है कि यह बैठक पीएम के लिए महत्वपूर्ण नहीं है।
मंत्री बोले- पिछले महीने इंफाल में भी बुलाई थी ऑल-पार्टी मीटिंग
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि ऑल-पार्टी मीटिंग इंफाल में होनी चाहिए। इस पर मणिपुर के शिक्षा मंत्री बसंता सिंह ने कहा कि जयराम रमेश को पता नहीं है कि पिछले महीने इंफाल में एक ऑल-पार्टी मीटिंग हो चुकी है। इस मीटिंग में पूर्व CM और कई कांग्रेस नेता शामिल हुए थे। अमित शाह के मणिपुर दौरे के समय भी विपक्षी पार्टियों की मीटिंग बुलाई गई थी।
मीटिंग में राष्ट्रपति शासन पर चर्चा की संभावना नहीं
मणिपुर में जारी हिंसा के बीच कई पार्टियां राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रही हैं। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मीटिंग में राष्ट्रपति शासन पर चर्चा की संभावना नहीं है। असम CM हिमंता बिस्वा सरमा की अमित शाह से मीटिंग के बाद यह फैसला लिया गया है। साथ ही ,कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार तब जागी है जब सोनिया गांधी ने मणिपुर के लोगों को संबोधित किया। इस गंभीर समस्या पर होनी वाली बैठकों से PM का दूर रहना उनकी कायरता दिखाता है। ऐसे हालात में भी मणिपुर की पक्षपात करने वाली सरकार को न हटाना और राष्ट्रपति शासन लागू न करना एक मजाक जैसा लग रहा है। दरअसल सोनिया गांधी ने 21 जून को एक वीडियो संदेश जारी करके लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा था कि इस हिंसा ने हमारे राष्ट्र की अंतरात्मा पर एक गहरा घाव छोड़ है। इस हिंसा ने आपके राज्य (मणिपुर) में लोगों के जीवन को तबाह कर दिया और हजारों लोगों को उजाड़ दिया है। इसके बाद ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ट्वीट कर ऑल-पार्टी मीटिंग बुलाए जाने के बारे में बताया। आपको बताये की मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
केसी वेणुगोपाल बोले- सोनिया गांधी के संदेश के बाद जागी सरकार
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार तब जागी है जब सोनिया गांधी ने मणिपुर के लोगों को संबोधित किया। इस गंभीर समस्या पर होनी वाली बैठकों से PM का दूर रहना उनकी कायरता दिखाता है। ऐसे हालात में भी मणिपुर की पक्षपात करने वाली सरकार को न हटाना और राष्ट्रपति शासन लागू न करना एक मजाक जैसा लग रहा है.